



दिल्ली-अप-टु-डेट। नई दिल्ली। दिल्ली में लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज से संबद्ध सुचेता कृपलानी अस्पताल में नए ओपीडी व आइपीडी ब्लाक की शुरुआत किया जाना स्वागतयोग्य है। यह इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे कई वर्ष पूर्व पूरा हो जाना चाहिए था। राहत की बात है कि दस साल की देरी से ही सही यह परियोजना आखिरकार अब साकार हो पाई है। नए ओपीडी ब्लाक में मरीजों के बैठने की बढि़या व्यवस्था की गई है।
इसके शुरू हो जाने से यहां ओपीडी की क्षमता भी काफी बढ़ गई है। यही नहीं, नए आइपीडी ब्लाक में 240 बेड, 44 आइसीयू बेड व 24 आपरेशन थिएटरों की सुविधा मिलेगी, जिससे यहां अधिक मरीज भर्ती किए जा सकेंगे और उन्हें बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा सकेंगी। अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल की विस्तार परियोजना के दूसरे चरण को भी शीघ्र अनुमति देने की केंद्र सरकार से मांग की है, जिसके तहत हास्टल, मेडिकल कालेज से संबद्ध कलावती सरन बाल चिकित्सालय का नवीनीकरण, मेडिकल गायनेकोलाजी व सर्जिकल सुपरस्पेशियलिटी ब्लाक बनाने की योजना है।
देश के सबसे पुराने मेडिकल कालेजों में शुमार इस मेडिकल कालेज से संबद्ध अस्पताल अब तक उपेक्षित रहे हैं। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसकी विस्तार योजना के पहले चरण को पूरा करने में ही दस साल लग गए। यानी इस ओर उचित ध्यान ही नहीं दिया गया। यही नहीं, चिंता का विषय यह भी है कि राजधानी का यह अस्पताल उस समय कैंसर मरीजों को रेडियोथेरेपी की सुविधा मुहैया कराता था, जब देश के चुनिंदा अस्पतालों में ही यह सुविधा थी, लेकिन आज हालात यह हैं कि इस संस्थान में रेडियोथेरेपी का विभाग तो है, लेकिन इसकी मशीन ही नहीं है।
इस वजह से यहां कैंसर मरीजों की रेडियोथेरेपी नहीं हो पाती है। कैंसर सेंटर दो साल से बनकर तैयार भी है तो भी अब तक रेडियोथेरेपी की मशीन नहीं खरीदी जा सकी है। कुछ ऐसी ही स्थिति इस संस्थान से जुड़े कलावती सरन बाल चिकित्सालय की भी है। यह अस्पताल बच्चों के इलाज के लिए है, लेकिन इसमें उनकी दिल की जन्मजात बीमारियों के इलाज की कोई सुविधा नहीं है। अस्पताल की इन बड़ी खामियों की ओर सरकार को देखना चाहिए और इन्हें गंभीरता से लेकर जल्द दूर कराना चाहिए। इन संस्थान को आरएमएल और सफदरजंग जैसा सुविधासंपन्न बनाया जाना चाहिए, ताकि इसका लोगों को अधिकाधिक लाभ मिल सके।
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