



दिल्ली-अप-टु-डेट। नई दिल्ली। देशभर में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों के मन में एक बार फिर पाबंदियां और लॉकडाउन लगने का सवाल खड़ा हो रहा हैं। देश में कोरोना का आंकड़ा फिर डराने लगा हैं, पिछले 24 घंटे में देश में 2380 नए मामलों की पुष्टि हुई और 56 लोगों की संक्रमण से मौत हो गई। हाल में देश के नौ राज्यों के 36 जिलों में हालात बेकाबू बने हैं। यहां पॉजिटिविटी रेट पांच फीसदी से भी ज्यादा है। मतलब कोरोना की जांच कराने वाले हर 100 लोगों में पांच या इससे ज्यादा संक्रमित पाए जा रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट जारी की है। इसमें देश के सभी जिलों में कोरोना के पॉजिटिविटी रेट के बारे में बताया गया है। ये आंकड़े 13 से 19 अप्रैल तक के हैं। देश में सबसे ज्यादा सक्रंमण के मामलें केरल के 14 जिलों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है।
आपको बता दें कि इस साल जनवरी में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लिया था। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी (डीडीएमए) के कोविड मैनेजमेंट के लिए तैयार ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन यानी जीआरएपी ने कहा था कि अगर लगातार दो दिन तक पॉजिटिविटी रेट पांच प्रतिशत या इससे ज्यादा रहा तो लॉकडाउन लगाया जा सकता है। हालांकि, लॉकडाउन को लेकर केंद्र स्तर से कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रजनीकांत कहते हैं, ‘लॉकडाउन सबसे अंतिम विकल्प होता है। यह उस स्थिति में लगाया जाता है जब लगता है कि अब बिना इसके संक्रमण को नहीं रोका जा सकता है।’
‘केंद्र सरकार की तरफ से अब कोई लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकता है। शुरुआत में इसलिए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लगाया था, क्योंकि उस वक्त हमारे पास टेस्टिंग, हॉस्पिटल बेड, वैक्सीन व कोरोना से लड़ने के लिए अन्य संसाधन नहीं थे। आज सबकुछ अपने पास है। ज्यादा से ज्यादा आबादी को वैक्सीन लग चुकी है। बच्चों में भी वैक्सीनेशन की प्रक्रिया तेज हो चुकी है।’ ऐसे में बढ़ते मामले पर काबू पाना आसान हो गया हैं, लेकिन उसके बावजूद भी यदि सक्रंमण के मामलों में कोई गिरावट दर्ज नही की जाती तो सरकार नाइट कर्फ्यू जैसे अन्य प्रतिबंध लगा सकते हैं, और उसके बावजूद भी केस नहीं रुक रहे हों तो जिला स्तर पर लॉकडाउन लगाने का फैसला भी कर सकते हैं।’